अजन्मी बेटियां
अजन्मी बेटियों के खून से रंगा ये समाज,मुझे हत्यारा दिखाई देता है ये समाज।शहरों से लेकर गांव तक, नगरों से लेकर कस्बों तक ,मुझे हत्यारा
अजन्मी बेटियों के खून से रंगा ये समाज,मुझे हत्यारा दिखाई देता है ये समाज।शहरों से लेकर गांव तक, नगरों से लेकर कस्बों तक ,मुझे हत्यारा
कितना कुछ सिखाती हैं ज़िंदगी,कभी गिराती तो कभी उठाती है ज़िंदगी।संघर्षों से लड़ना सिखाती है ज़िंदगी, आम से खास बनाती है ज़िंदगी।कभी आशा कभी निराशा
मां से बोली बेटी मां मैं भी पढ़ने जाऊंगी।पढ़ लिख कर के इस जग में मैं खूब नाम कमाऊंगी।कलम किताब लेकर के मैं भी स्कूल
ट्विन टावर यदि बोल पाता तो कहता-पलक झपकते ही मुझे जमींदोज करने वालों,कल तुम भी शामिल थे मुझे बनाने में।मुझे ये तो नहीं पता कि