शैलेन्द्र 'असीम'
शैलेन्द्र 'असीम'

शैलेन्द्र 'असीम'

पूरा नाम : शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय उपाख्य : असीम पता : पाण्डेय निवास रोहुआ मछरगावां, कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन - 274149 मो. न. 7007947309 Copyright@शैलेन्द्र 'असीम'/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

फागुन (दो छन्द)

भंग की तरंग में उमंग इठलाय रही सा रा रा रा सा रा रा रा शोर चहुँओर है जाति सम्प्रदाय का कतहूँ भेद भाव नहीं

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होरी गिरि कैलाश पे

होरी गिरि कैलाश पे खेलत गौरीशंकर। होरी….. रंग अबीर लिया माता ने, चिताभस्म प्रलयंकर। तारी दे दे नाचत गावत भूत पिशाच भयंकर।। होरी…. एक पाँव

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शिव बम बम

प्रगटे शंकर अविनाशी फिर झूम उठी है काशी बोले जय जय कैलाशी साँसों की सरगम हर हर शिव बम बम, हर हर शिव बम बम

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नारी

युग युगों से हूँ बनी पहचान जग में प्रेम की, क्या हुआ यदि मैं नहीं कान्हा की परिणीता हुई। राम जिसके बिन कभी भी राम

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फागुन (दो छन्द)

भंग की तरंग में उमंग इठलाय रहीसा रा रा रा सा रा रा रा शोर चहुँओर है जाति सम्प्रदाय का कतहूँ भेद भाव नहींजित देखो

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कविता का औघड़

वन के दुःख दर्द अमंगल, सबसे प्रीत निभाऊंँ रे। मैं कविता का औघड़ साधू, धूनी अलख जगाऊँ रे।। जिनकी खुशियों को सपनों के चन्द लुटेरे

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