विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल

विनय साग़र जायसवाल

©विनय साग़र जायसवाल ,बरेली

ग़ज़ल:-दीवारो-दर से जिसकी सदा गूँजती रही

दीवारो-दर से जिसकी सदा गूँजती रहीमेरी निगाह घर में उसे ढूँढती रही अहसास था ख़याल तसव्वुर यक़ीन थाकिस किस लिबास में वो मुझे पूजती रही

Read More »

ग़ज़ल:-साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिए

साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिएशामे-ग़म का धुँधलका हटा दीजिए ग़म के सागर में डूबे न दिल का जहाँनाख़ुदा कश्ती साहिल पे ला दीजिए एक मुद्दत

Read More »

श्रमिक दिवस को समर्पित:-गीत

तुम वर्तमान के पृष्ठों पर ,पढ़ लो जीवन का समाचार ।क्या पता कौन से द्वारे से ,आ जाये घर में अंधकार।। आशा की किरणें लौट

Read More »

रंग-ए-बहार होली का

है ये रंग-ए-बहार होली का चल पड़ा कारोबार  होली का देखते ही मुझे कहा उसने देखो आया शिकार होली का उसने डाला है रंग यूँ

Read More »

होली (गीत)

होली———————————————-१ बरस रहा है पिचकारी से, लाल गुलाबी रंग। रंग बिरंगी बौछारों से ,पुलक उठा हर अंग।। होली होली हुरयारों का ,गूँज रहा है शोर

Read More »
Total View
error: Content is protected !!