वंदना श्रीवास्तवा
वंदना श्रीवास्तवा

वंदना श्रीवास्तवा

मैं वंदना श्रीवास्तवा भोपाल की निवासी हूं. मैं पेशे से फैशन डिजायनर हूं व कई समाजसेवी संस्थाओं के साथ जुड़ कर समाज सेवा का कार्य करती हूं. मझे २००से ज्यादा प्रमाणपत्र मिल चुके हैं मैं कई प्लेटफार्म पर लिखती रहती हूं. अब तक मेरी 4 एंथालाजी छप चुकी है. स्टोरीमिरर ,कलामंथन,गृहलक्ष्मी ,वनिता व अन्य कई ई पत्रिका में मेरे लेख व कवितायें छपते रहते हैं. साहित्य श्री का सम्मान साहित्य की दुनिया मंच द्वारा दिया गया है व ITIPAA में टाप 30 iconic Achiever Awardभी मिल चुका है व एक एंथालाजी को India book of record भी मिल चुका है. पता: D-58/3 ,nikhil nestles,nikhil bunglow ,hoshangabad road,jaatkhedi, bhopal ,madhya pradesh , 462024 Copyright@वंदना श्रीवास्तवा/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

एक होली ऐसी भी (कथालेख)

मां मैं बाजार रंग लेने जा रही हूं अरे परी मत जा देख ना कितना हुडदंग हो रहा है होली का इस समय अकेले जाना

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१℅ बुद्ध

और अंगुलिमाल उनके पैरों में गिर पड़ा कहानी सुनते सुनते बस यही शब्द मन में गूंजते रहे ऐसा कैसा ब्यक्तित्व रहा होगा उस योगी का

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मैं हूं ना

मैं हूं ना वाक्य नहीं जादू की छड़ी है जो पल भर में बुझे हुये मन जो अवसाद की घोर अंधेरी गली से निकालकर आशा

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जान बची तो लाखों पाये

आज तो होली खेले बगैर जाने नहीं देंगे इतना कह कर करीब करीब 15 लड़कों का झुंड उन 5 लड़कियों के ग्रुप को घेर कर

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शिव : एक अनुसरणीय जीवन

भोले भंडारी शिव सत्य सन्यासी, सदा रहे ध्यान मगन शम्भू अविनाशी, भूत-प्रेत गण शिव संग चलत हैं, दीन हीन पद स्वारथ कर बनाते विश्वासी,  

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आजादी

एक दिन गणतंत्र दिवस की चढ़ी खुमारी है, छुट्टी का दिन है बस यही बात इसकी प्यारी है, कितनों के दिल में धड़कता है देश

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मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे

मां शारदे हे मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे, अज्ञानता से भरी है दुनिया तनिक सा संवार दे..!! सब समझते ज्ञानी स्वयं को

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