अब तो यह याद भी नहीं आता
समाज अब समाज नहीं रह गया है यह तो सजावट का एक बाजार बन गया है चारों ओर चकाचौंध का हथियार बन गया है रंगबिरंगे
समाज अब समाज नहीं रह गया है यह तो सजावट का एक बाजार बन गया है चारों ओर चकाचौंध का हथियार बन गया है रंगबिरंगे
मां ! अर्पित है चरणों में, सादर नमन, वंदन !! मां तो सिर्फ मां होती है। उसकी बराबरी दुनिया की कोई चीज नहीं कर सकती