प्रेम का घड़ा
मीठे पानी सेभरी हुई यह धरतीफागुन की धूप मेंतपने लगीवसंत की हवाजंगलों में दौड़तीनदी के किनारेआयीयहां बाग बगीचों मेंपेड़ों से पीले पत्तेझड़ने लगेडालियों परनये पत्ते
मीठे पानी सेभरी हुई यह धरतीफागुन की धूप मेंतपने लगीवसंत की हवाजंगलों में दौड़तीनदी के किनारेआयीयहां बाग बगीचों मेंपेड़ों से पीले पत्तेझड़ने लगेडालियों परनये पत्ते
हल्द्वानी सेपहाड़ों पर लंबी चढ़ाईअल्मोड़ा केआसपास से गुजरतेनैनीताल जाने वालीरोड के मोड़ पर रुककरचाय पीतेयात्रियों से बागेश्वर केबारे मेंबातचीत करतेहम शाम तकजंगलों से बाहरपिथौरागढ़ चले