रमाकांत सोनी
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रमाकांत सोनी

पिता - स्वर्गीय श्यामसुंदर सोनी, माता - कलावती देवी, जन्म स्थान- नवलगढ़, जिला-झुंझुनू ,राजस्थान, मोबाइल नंबर- 94600 64419, लेखन व सृजन विधा वीर रस, देश भक्ति गीत, दोहा, छंद, मुक्तक, साहित्यिक संस्थाओं में भागीदारी, राष्ट्रीय साहित्यिक मंच कुछ बात कुछ जज्बात मंच, राष्ट्रीय सचिव,राष्ट्रीय साहित्यिक मंच शब्दाक्षर, जिला अध्यक्ष झुंझुनू,हिंद देश परिवार दिल्ली इकाई, उपाध्यक्ष, लोक संस्कृति मंच दिल्ली, झुंझुनू जिला महामंत्री,विशिष्ट सम्मान व पुरस्कार- आनंद कला मंच एवं शोध संस्थान भिवानी काव्य रचना सम्मान, साहित्य संगम संस्थान राजस्थान से काव्य सुधांशु सम्मान, मातृका विवेक साहित्य मंच द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान, साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर से कलम योद्धा सम्मान, वाह वाह क्या बात है मंच से काव्य गौरव सम्मान,साझा संकलन- संदर्श शिखा नवलगढ़, ईश्वर का अनुपम उपहार बेटियां प्राज्ञ साहित्य, अभिव्यक्ति, काव्य के मोती, हौसला काव्य संग्रह, साहित्य रचना ई पत्रिका, काव्य सागर ई पत्रिका, ढुंढाणी बातें ई पत्रिका, का्व्य सरिता ई पत्रिका, शांति दूत, दृष्टि एक काव्य बेला, शौर्य प्रकाश, अभिव्यक्ति, नवधा भक्ति,संस्कार अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ व दिव्य दर्शन भारती से प्रकाशित साझा संकलन,समाचार पत्रों व पत्रिकाएं-दैनिक नवज्योति, दैनिक अंबर , जन सोनी, भोर की किरण, मैड़ महिलादीप, करंट ज्वाला,आकाशवाणी जयपुर से राजस्थानी भाषा में प्रसारण 2 जूलाई 2021 व 19 मई 2022,ई-बुक बुलंद हौसले अभिव्यक्ति प्रकाशन, काव्य संकलन "काव्य के स्वर्णिम अक्षर" शीघ्र ही विमोचन, जांगिड़ अस्पताल नवलगढ़ में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत,Copyright@रमाकांत सोनी/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

तारीफ

तारीफ में ताकत होती तारीफें खुलकर करते हैंमंजिलें मिलती उनको जो तूफानों में चलते हैं अटल इरादा ठानकर सफल इंसान होता हैठोकरें खाकर ही मंजिलों

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उमंगों की पतंगे उड़ाओ

उमंगों की पतंगे लेकर आओ मचाए हम भी शोर।गली गली घूमते गाते चले आई है सुहानी भोर।जीवन में उड़ानें भर आओ चले खुशियों की ओरप्यार

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ठिठुरन(मनहरण घनाक्षरी)

सर्द हवा ठंडी ठंडी, बहती है पुरजोर।ठिठुरते हाथ पांव, अलाव जलाइए। कोहरा छा जाए जब, शीतलहर आ जाए।कंपकंपी बदन में, ठंड से बचाइए। सूरज सुहाती

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देश का मान बढ़ाती हिंदी

गौरव गान सिखाती हिंदी, राष्ट्रप्रेम जगाती हिंदी। राष्ट्र धारा बन बहती, देश का मान बढ़ाती हिंदी। देश का सम्मान हिंदी, वंदे मातरम गान हिंदी। सबके

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