रंजीत गुप्ता "राही"
रंजीत गुप्ता "राही"

रंजीत गुप्ता "राही"

रंजीत गुप्ता "राही" कवि, शायर,ज्ञानार्थी, शिक्षक। प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश। फोन-9170493847 Copyright@रंजीत गुप्ता "राही"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

बस जाओ ज़रा

मेरी सांसों में तुम,बस जाओ ज़रा जिंदगी ये मेरी महक जाएगी। रात ख्वाबों में,आया करो रोज़ तुम शान से मेरी रातें गुजर जाएंगी। चंद पल

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मुस्काती है

पुष्प पत्र सम मुस्काती है, दिल को वो बहलाती है। प्रेम कवि हूं मैं, प्रेम मुझे सिखलाती है।। जहां भी जाए,अदा दिखाए अदा दिखा के

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मां में सारी देवी बसती हैं

सबसे पहले जगती है , बाद में सबसे सोती है। मां ऐसी ही होती है हां मां ऐसी ही होती है। परिवार सदा खुशहाल रहे

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नज्म़-दिलकी बातों से

दिलकी बातों से, दिल ये निकलता नहीं। ज़ाम पीकर भी, अब ये मचलता नहीं।। चंद पल की खुशी, दी थी उसने मुझे। फिर जख्म़ ऐसे

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अपनी भाषा में प्यार

जइसन फोन बजा राती मा, हम आंखी मिजआवै लागे। नाम तोहार देखतै मान, इयरफोन हम ढूढ़ै लागे।। बिस्तर तौ छोड़ा, बिस्तर के नीचे आय गये।

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बचपन और जवानी

जब कक्षा १२ पास भवा, लगा कि बचपन बीत गवा। कुछ करै के ख्वाइश हमरो रहिस, हम डिग्री कॉलेज आय गवा।। BA मा नाम लिखाय

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जीना सीखा है

इक फूल सी बच्ची को मैंने, कबाड़ उठाते देखा है। पंखुड़ियों से हाथ हैं जिसके, खुद का भार उठाते देखा है।। कोई उसका नही तो

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तुम्हें क्या लिखूं

तुम्हें क्या लिखूं मनमोहनी हो तुम, मन के भीतर रहने वाले क्या मैं तुमको मनमीत लिखूं… फूलों सी मुस्कराती हो दिल को तुम बहलाती हो।

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सियासत

सियासत ने वतन को बदनाम कर रखा है। झूठे लोग औ झूठी सियासत ने, मासूमों को गुमराह कर रखा है।। हर तरफ पहरेदारी है, हर

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पाप की गठरी

पाप की गठरी भारी है भैय्या पाप की गठरी भारी है भैय्या। सुन मोरी बहिनी, सुन मोरी मैया पाप की गठरी भारी है भैय्या… छल

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