सफेद आंचल
रात बीत चुकी थी, सुबह का स्वच्छ आसमान धीरे-धीरे लाल रंग में परिणत हो रहा था । पर्वत की आड़ से भगवान भुवन भास्कर अपनी
रात बीत चुकी थी, सुबह का स्वच्छ आसमान धीरे-धीरे लाल रंग में परिणत हो रहा था । पर्वत की आड़ से भगवान भुवन भास्कर अपनी
लोग कहते हैं कि मां-बाप के लिए सभी संतान एक जैसी होती हैं पर ऐसा होता कहां है, यह तो सिर्फ कहने सुनने के लिए
घास फूस की झोपड़ी में रहने वाला रामस्वरूप भले हीं अनपढ़ हो पर उसकी कारीगिरी को देखकर लोग दंग रह जाते हैं ,गांव से शहर
हरिपुर के छोटे जमींदार देव बाबू के घर में आज खूब चहल-पहल हो रहा था , चारों ओर खुशियां हीं खुशियां थी । घर के
दर्जन भर सूअरों के पीछे – पीछे दौड़ लगाती हुई सुग्गो जब ब्राह्मण टोला के पास जाती तो नीले और सफेद कपड़ों में सज धज
पारो अपने गांव के मध्य विद्यालय से आठवीं की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई के लिए गांव से आठ किलोमीटर दूर कुर्साकांटा हाई स्कूल
भारत और नेपाल की सीमा पर बसे एक छोटा सा धर्मपुर गांव हिमालय की गोद में प्राकृतिक सुषमा से सुशोभित अत्यंत रमणीय गांव है। गांव
शकुंतला चाय लेकर बैठक खाने में आई तो पति का खिला हुआ चेहरा देख कर हीं समझ गई कि शायद बात पक्की हो गई ,
मेरे प्रियतम को ना जगाओ, सुमन सेज पर हीं रहने दो । अब तक तो ये जाग रहे थे, अब जी भर कर सो लेने
महेश बाबू जब सेवा मुक्त होकर गांव लौटे तो बिल्कुल अकेले हो गए। साल भर पहले हीं पत्नी का स्वर्गवास हो गया था । एक