किसान की पीड़ा
कड़कड़ाती ठंड में,जल से फसल सींचते है, जब कार्य पूर्ण न हो,आराम नही वो करते है । मेरा शत शत प्रणाम, है अन्नदाता को, जो
कड़कड़ाती ठंड में,जल से फसल सींचते है, जब कार्य पूर्ण न हो,आराम नही वो करते है । मेरा शत शत प्रणाम, है अन्नदाता को, जो