मुझे गिराने की जिद जमाना कर रहा है
मुझे गिराने की जिद जमाना कर रहा है, मुझको मिटाने कोशिश जमाना कर रहा है । वक्त से जंग आजकल, मेरी,चल रही है, कभी मैं
मुझे गिराने की जिद जमाना कर रहा है, मुझको मिटाने कोशिश जमाना कर रहा है । वक्त से जंग आजकल, मेरी,चल रही है, कभी मैं
ये इश्क का जुनून, नफरत में बदलता जा रहा है । पहले पैंतीस टुकड़े थे, अब कोई पचास बता रहा है ।। अब इंसान में
नया साल फिर आ रहा है, मन को मेरे जला रहा है । दिसंबर फिर से जा रहा है, नया साल फिर आ रहा है
भारत के रखवाले हैं अलवेले है, मतवाले है । पाकिस्तान को हरा कर के, हम बंगलादेश बनाने वाले है ।। मुठ्ठी में तुफां रखते हैं,
सबसे शीतल सबसे पावन, गंगा मां है धार तुम्हारी, तेरे चरणों का मैं सेवक, तुम जग की तरण हारी, कोई भागीरथी कहता है, कोई सुर
कट कर शीश गिरे धरा पर, लेकिन रूंड करै तलवार । मृत्यु से भी जो लड़ बैठे, ऐसा दिवला का राजकुमार ।। बावन गढ़ के
तुम अपने आप को पहचानो,सही गलत में अन्तर जानो ।तुम नहीं किसी से निम्न हो,खुद को न कभी दुर्बल मानो ।। मन में यदि संकल्प
बचपन न रहा है,न जवानी रहेगी, सदा अपनी हसीं ये, कहानी न रहेगी । सब छूट जायेगा, यहीं का यहीं पर, तेरे वजूद की कोई,
।। पतंग मेरी तुम उड़ने दो ।। सर्दी में मुझे ठिठुरने दो, हाथों को रील से कटने दो । पर पतंग मेरी तुम उड़ने दो,
अश्कों को पलकों पे सजाया है, एक गीत लबों पर आया है । कहां से चले और कहां पे पहुंचे, ये दौर कहां पर हमें