इसी तस्वीर के कदमों में दिल रख दूं ,अगर कह दो ।
तुम्हे अपनी मुहब्बत का ख़ुदा मानूं , अगर कह दो ।
तराशे लब, हसीं आंखें , परी चेहरा , ये तुम हो क्या ।
तुम्हे देखूँ ,तुम्हे चाहूँ , तुम्हे पूजूँ ,अगर कह दो ।
ये चेहरा उफ़्फ़ कि महका हो कोई गुलशन पहाड़ों पर ।
तुम्हे एहसास के पंखों से मैं छू लूँ ,अगर कह दो ।
मेरे सारे ख़यालों से भी ज़्यादा ख़ूबसूरत हो ।
तुम्हे अशआर के ज़ेवर मैं पहनाऊं ,अगर कह दो ।
तुम्हारी याद की डल झील में गहरे उतर जाऊं ।
तुम्हारे ज़ाफ़रानी इश्क़ को जी लूँ ,अगर कह दो ।
इन्हीं होठों पे बिखरे सुर चुरा लूँ औ ख़बर ना हो ।
तुम्हारी शान में फिर मैं ग़ज़ल छेड़ूँ , अगर कह दो ।
अगर कश्मीर जन्नत है तो उसका अक्स है तुझमें ।
मैं जन्नत के उजालों में सिमट जाऊं , अगर कह दो ।
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ग़ज़ल-संग्रह- ” क्या मुश्किल है ” से …..
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