सुनाऊँ क्या तुम्हें किस्सा किया तकरार होली में ।
उठाया हाथ में बेलन पड़ी थी मार होली में ।
पड़ोसन पर फिदा था वो सनम मेरा सलोना जी ….
कि उसकी चाल पर मैंने निकाला ज्वार होली में।।
लगाया था हसीना को गुलाबी लाल होली में ।
पिया था भंग की गोली धतूरा डाल होली में ।
मुहल्ले के सभी नारी लगे भाभी नजर उसके …
नशा उतरा तभी उसका बजा सुर ताल होली में।।
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