सरसों फ़ूली ,अमवा बौराये छाई हर ओर उमंग,
इत-उत झूम-झूम के
गा रहें मकरंद।
रोम -रोम केसर घुली
चन्दन महके अंग,
आया महोत्सव फाग का
सब मिल खेले रंग।।
आया फागुन मतवाला
सब मिल खुशियां मनाएं,
आओ झूमे, नाचे, गाये
प्रेम सुधा सब पर बरसाएं।
ऊँच-नीच का भेद मिटाकर,
करें सभी हुड़दंग।
आया महोत्सव फाग का
सब मिल खेले रंग।।
नही रहे कोई बैर भाव
न ही कोई बात,
रंगों में रंग जाते दिल के सारे जज्बात।
मतवालों की टोली निकली खेलने जी भर रंग,
करें न परहेज कोई चढ़ा
ले थोड़ी सी भंग।
नाचे सारे नर -नारी बन हमजोली,
द्वार -द्वार फगुआ गावत प्रेम रस भरी टोली।
हाथ गुलाल,अबीर भरे
रंग रसिया करे हुड़दंग,
सजनी साजन यूँ लगे जैसे राधा कृष्ण के संग।
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