डूबता ओ नहीं भाव से जो मरा
डूबने के लिए जिंदगी चाहिए
भीगे दुख में कभी भी ना आंखें तेरी
भीगी आंखें सदा भाव में चाहिए
बीते उपकार में सबका जीवन यहां
भाव दिल में ही सबके भरा चाहिए
सबके जीवन में सुख दुख तो आता ही है
मन भरी यह निराशा नहीं चाहिए
तेरी नइया भंवर में न डूबे कभी
बनना पतवार ऐसा कुशल चाहिए
फूल ही फूल खिल जाए उपवन में ही
जो चुभे ऐसे कांटे नहीं चाहिए
तन से काले भले हो पर मन से नहीं
मन उजाले हमेशा भरे चाहिए
तन से तन की यह दूरी बनी हो भले
मन से मन का हमेशा मिलन चाहिए
प्रेम सबके दिलों में ही उपजे सदा
नफरतों की घटाएं घटी चाहिए
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