स्त्री

जब तक स्त्री सुनती है, चुप रहती है,
घर के सारे काम करती है,
हाँ में हाँ मिलाती है, बिना सही गलत समझे,
तब तक हि लोग उसे कुलिन, समझदार, संस्कारी,
अच्छा होने का पदक देते हैं।

एक बार जो उसने गलत के खिलाफ आवाज़ उठाई,
अपने हक के लिए कुछ कहा,
लोगों को सारी बुराइयां उसी स्त्री मे नज़र आ जाती है।

अपने हक के लिए जो आवाज़ ना उठाए,
वो जीते जी हर पल मरता है।
अच्छा है, बुरा हो जाना।। सहने से तो बेहतर है।।

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1 Comment

  • Poonam Goonja May 21, 2023

    👏👏👏👏👏

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रचनाकार

Author

  • पूनम गूँजा

    जगन्नाथ पूरी, ओड़िशा, Copyright@पूनम गूँजा/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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