पुस्तक : नागिन एक प्रेम कथा
द्वारा : श्रबोनी बोस
प्रकाशक: ट्रू साईन पब्लिशिंग हाउस
क्यों पढ़ें :-
भारतवर्ष में पौराणिक काल से ही इक्षाधारी नागों के अस्तित्व को मान्यता दी गयी है एवं उन्हीं मान्यताओं पर आधरित है यह उपन्यास, जिसमें इक्षाधारी नाग नागिन की सदियों लंबी प्रेम कथा व नागमणि को केंद्र में रख कर सुन्दर रचना सृजित की गयी है। स्वस्थ मनोरंजन हेतु पढ़ने के लिए एक उत्तम पुस्तक है।
शीर्षक :-
सम्पूर्ण कथानक एक नागिन की उसके बिछुड़े हुए प्यार को पाने की तपस्या पर आधारित है एवं सम्पूर्ण कथानक नाग एवं नागों से सम्बंधित अन्य दृश्यों पर केन्द्रित है अतः इस से अधिक उपयुक्त शीर्षक मिलना संभवतः नामुमकिन ही है।
रचनाकार :-
इस उपन्यास की रचयिता सुश्री श्रबोनी बोस का इसके पूर्व एक कहानी संग्रह “संस्कार’ नाम से प्रकाशित हो चुका है जिसे पाठकों से अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआ था। वे बहुआयामी प्रतिभा की स्वामिनी हैं एवं अध्यापन के कर्तव्य निर्वहन से इतर पेंटिंग एवं गद्य साहित्य सृजन में भी निरंतर योगदान कर रहीं है, प्रस्तुत उपन्यास में एक अल्प चर्चित विषय पर लिख कर उन्होंने साहित्य सर्जन के प्रति अपनी गंभीरता का परिचय प्रस्तुत किया है। । विशिष्ट अलंकारिक शब्दों एवं क्लिष्ट शब्दों को अनावश्यक रूप से कथानक में जोड़ कर लेखन को सुन्दर दिखाने एवं तथाकथित रूप से आकर्षक तथा प्रभावशाली बनाने हेतु प्रयास लक्षित नहीं हैं।
कथानक एवं भाषा शैली :-
पुस्तक का कथानक, नाग मणि व एक नाग-नागिन के जोड़े पर केन्द्रित है। नागिन जो अपने प्रेमी नाग से बिछुड़ गयी है जो की अब मानव योनी में आ गया है तथा विगत तीन ज़न्मों से नागिन उसे ढूंढती हुयी मिलन हेतु प्रयास रत है, की प्रेम कथा को विस्तार से दिखलाता है। नागिन की हर ज़न्म में नाग खोज, व नाग मणि जिसके विषय में विभिन्न किवदंतियों के कारण ऐसी मान्यता है की अगर किसी को यह मणि मिल जाए तो वह हमेशा स्वस्थ रहता है, पैसे की कमी नहीं होती है, उसकी इच्छाएं भी पूरी होती हैं । इस नागमणि की वजह से प्राचीन काल से ही सपेरे नाग-नागिन की तलाश में रहते हैं ,उसी नागमणि को प्राप्त करने के लिए लगातार हुए प्रयास एवं उस से सम्बंधित बनती हुयी अन्य परिस्थितियां व दृश्यों को संजो कर प्रस्तुत उपन्यास सृजित किया गया है। अपने प्रथम कहानी संग्रह में जहाँ लेखिका ने समाज में संस्कारों के अधोपतन कि ओर ध्यान आकर्षित किया था एवं एक सुसंस्कृत सामाजिक स्वरुप का परिचय भी पात्रों के माध्यम से हमें दिया था वहीं प्रस्तुत उपन्यास में उन्होंने हिंदुस्तान में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त इक्षाधारी नाग की अवधारणा पर आधारित यह रचना प्रस्तुत करी है।
भाषा शैली सामान्य है, तथा भाषायी सम्पन्नता दर्शाने का बेमानी प्रयास कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होता। सामान्यतौर पर कथानक मध्यमवर्गीय पात्रों पर केन्द्रित है एवं उनके परिवेश कि भाषा ही पात्रों की भाषा है, सहज एवं सरल भाषा, विषयवस्तु को सहज बोधगम्य बनती है।
समीक्षात्मक टिप्पणी :-
• ग्रीक माइथॉलजी में चमत्कारी सर्प का वर्णन किया गया है जो अमर माने जाते हैं । बुद्धिस्ट और जैन फिलासफी में ऐसे सांपो के बारे में पता चलता है जो अपनी इच्छा से इंसान का रूप ले सकते थे । हिंदू माइथोलॉजी में भी महाभारत में वर्णन मिलता है कि भीम के बेटे घटोत्कच्छ की शादी एक नागकन्या से हुई थी । वहीं महाभारत में भी अर्जुन एवं उलूपी जो की एक नाग कन्या थी का वर्णन मिलता है ।
• पृकृति में कई तरह के जीव पाए जाते हैं जिनमें सांपों को सबसे रहस्यमई माना जाता है खासकर इच्छाधारी सांप जो अपनी इच्छा से कोई भी रूप ले सकते हैं और अपनी शक्तियों से किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं ।
• मान्यता है कि प्राचीन काल में नाग और नागिन ने शिवजी की पूजा की वह उसकी पूजा से बेहद खुश हुए उन्हें उन्होंने नागिन को चमत्कारी शक्तियां दी । जिससे वह कभी भी अपना रूप बदल सकती थी साथ ही किसी से भी अपनी सुरक्षा कर सकती थी । वह कोबरा प्रजाति की थी आज भी अगर कोबरा प्रजाति का सांप सौ साल उम्र पूरी कर ले तो उनके पास नागमणि आ जाती है जिसकी अलौकिक शक्तियों से वह इच्छाधारी बन जाते हैं ।
• मान्यता है कि किसी कोबरा जाति के सर्प के जीवन के सौ वर्ष पूर्ण हो जाने पर यदि स्वाति नक्षत्र की बूंदे उसके मुंह में गिर जाएं तो बाद में यही बूंद विकसित होकर नागमणि बन जाती है। नागमणि अपने आप में अलौकिक होती है, जो अन्य मणियों से अधिक प्रभावशाली होती है। मान्यता है कि जिसके पास मणि होती है उस पर नाग के विष का प्रभाव नहीं होता है। -वृहत्ससंहिता ग्रंथ में वर्णन मिलता है कि जिस भी राजा के पास यह मणि थी, उसने शत्रुओं पर हमेशा विजय प्राप्त की है और इनके राज्य में हमेशा खुशहाली रही है।
• नाग-नागिन के किस्से भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्रचलित है हालाँकि आज के आधुनिक समय में कोई भी इस तरह के अंधविश्वास को नहीं मानता है और इन्हें हम सिर्फ कहानियों में देखा जाता है।
• विज्ञान और सर्प विशेषज्ञों का भी कहना है कि इच्छाधारी नाग नागिन का चरित्र पूरी तरह से काल्पनिक है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। हालाँकि भारतीय हिन्दू पौराणिक कथाओं में इस पर विशवास जतलाया गया है किन्तु मात्र मनोरंजन की दृष्टि से एक सुविचारित कथानक पर सुन्दर दृश्यों का संयोजन कर रुचिकर पठनीय पुस्तक का सृजन किया गया है।
सविनय,
अतुल्य
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