देखा मैंने सागर को जब तेरे इन दो नैनों में
भाव मेरा तो भावुक होकर डूब गया तेरे नैनों में
सागर की क्या गहराई होगी जितनी तेरे नैनों में
उतना रत्न नहीं सागर में जितना तेरे नैनों में
छलक गया जब आंसू बनकर सागर पीछे छूट गया
तड़प उठी सीने के अंदर भाव में जब-जब डूब गया
सागर तो केवल बदन डुवोता मन को डुवोता आंसू है
सागर तो नदियों से भरता भाव से भरता आंसू है
लालसा सदा ही दोनों की पाने को हरदम होती है
सागर सिर को पटकता रहता मौन सी आंखें होती हैं
सागर तेरा पानी खारा बूद आंख की प्यारी है
आंखों के सागर की लीला पूरे जग से न्यारी है
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