मंजिले दूर होती रही
राश्तों का कसूर होगा
यह कोई नहीं सोचता
रास्तों को चुनना भी
तो हमारा दस्तूर होगा
रास्तों को सही चुनकर
हमारा दिल मगरूर होगा
मंजिलों पर पहुंचना
हर एक का ख्वाब होगा
दूरियाँ भी साथ दे देंगी
जो रास्तों से सरूर होगा
रास्तों को बदलकर भी
मंजिलों से वास्ते रख लिए
रास्तों को यक़ीनन पता
मजिलों का होगा
मंजिलों में रास्तों का जिक्र
यक़ीनन जरूर होगा
मंजिले भी बदल रही होंगी
रास्तों में जिक्र भरपूर होगा
अंतिम मंजिल होंगी
अंतिम ही रास्ता होगा
सिमट कर मंजिलों पर
मजिलों का जिक्र जरूर होगा
मंजिले दूर होती रही
रास्तों का कसूर होगा
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