इतिहास ने दिया है , गवाही समाज हित , नारियों के द्वारा दिए , पुण्य योगदान की ।
एकता के सूत्र में जो , बांधी परिवार को तो , तोड़ नहीं पाई शक्ति , शक्तिमान की ।।
पोरुष्ता के नाम पे , लक्ष्मी दुर्गा झलकारी , मोहताज नहीं आज , कोई पहचान की ।।
नारियों ने संवारा है , भार सारे संसार का शिखर हैं समाज की , नीव खानदान की ।।
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बेटी तुझे ब्तलाऊं , राज आज सासरे में , खुशियों से भरपूर , सुख के संसार का ।
चाह की बनेगी राह , होगी तेरी वाह – वाह , सबकी निगाह में तू रूप होगी प्यार का ।।
देना है पहले तुझे , मान सम्मान बाद में , ख्याल आए निजता के , कोई अधिकार का ।।
कारण बनना नहीं , बूढ़े सास ससुर के , घर को त्याग आश्रम , जाने के आधार का ।।
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