फिर याद आई गांव की खुशबू
मन करता मैं लौट जाऊं
तनाव भरी जिंदगी से
हमेशा के लिए मुक्ति पाऊं।
भागदौड़ की जिंदगी है शहरों में
विकास का तनाव बसा है हर घरों में
लगता नहीं काट पाऊंगा और दिन
लौट जाऊं गांव की छांव में
फुर्सत से ही जिंदगी
सादगी में बिता आऊं
फिर याद आई गांव की खुशबू
मन करता मैं लौट जाऊं।
अवसर की चिंता है अक्सर
मिलता नहीं फिर भी कभी पर
अच्छे जीवन की तलाश में
जीवन बन गया है दूभर
पीपल की छांव और गलियों में
अपना जीवन गुजारूं
फिर याद आई गांव की खुशबू
मन करता मैं लौट जाऊं।
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