मुरझान डेरान मुंह बनाए एक दिन फुल कहय माली से।
का बिगारेंन तुम्हार हम जवानिम तुरत हमका डाली से।।
काटत छाटत सबसे बचाए खाद अउर डारत पानी।
बिरवस तुरि लेत हमका तुम आवत जैसे जवानी।।
दाना पानी तुमसे नाई मांगित ना कउनो नक्सान करित।
सोचों हमरे बलिदानी का खुद मरि कय दोसरेक सम्मान करित।।
सोचों तनिक तुम मनई बनि कय हमरेव मा तो जान हय।
फलित फुलित बाढीत हय हमरेव मा तो प्रान हय।।
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