जो बदन थी
दोहरी, इकहरी हो गई,
ग़मों की धूप से हट
जा, दुपहरी हो गई|
प्यार उसका अभीतक, भूला नहीं पाया,
ऐसा लगता है
मुझे, यादें और गहरी हो
गईं|
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