नहीं चाह मुझे तुम प्रेम की मिसाल बन जाओ
न मर्यादा हो ऐसी कि सिया के राम बन जाओ
न समझाने को प्रेम राधा के श्याम बन जाओ
मैं चाहूं बस इतना,
गर मैं हुई सती तो तुम रुद्र का मान बन जाओ।
नहीं चाह मुझे तुम प्रेम की मिसाल बन जाओ.1
न मोहब्बत में पारो का देवदास बन जाओ
न प्रेम-प्रेम कहकर तन की प्यास बन जाओ
न आजादी देकर मुझसे बेपरवाह बन जाओ
मैं चाहूं बस इतना,
मैं करूं इबादत सच्ची तुम मेरे ईमान बन जाओ
नहीं चाह मुझे तुम प्रेम की मिसाल बन जाओ.2
न मेरे आदर्शों के पद चिन्हों की छांव बन जाओ
न मैं को आगे रखने में हम का भाव भूल जाओ
न नारी प्रेम में पड़ी पग बेड़ी का नाम बन जाओ
मैं चाहूं बस इतना,
नज़र उठे जो हया पर तो मेरे पहरेदार बन जाओ
नहीं चाह मुझे तुम प्रेम की मिसाल बन जाओ.3
न स्वाति की चाहत में पपीहे की प्यास बन जाओ
न जलज प्रेम में विवश भ्रमर की आस बन जाओ
न मात- पिता को तज कर प्रेम-पाश में बंध जाओ
मैं चाहूं बस इतना,
मैं प्रयाग में निर्मल यमुना मिल गंगा संगम बन जाओ
नहीं चाह मुझे तुम प्रेम की मिसाल बन जाओ.4