माँ शारदे वन्दना

तुम कला, स्वर की देवी हो माँ,
तुम बिन यह जीव गूंगा है माँ
तुम बिन यह संसार,
अज्ञानता से भरा है माँ
तुम ज्ञान की देवी हो,
ज्ञान प्रदान करो माँ
तुम्हारी वीणा की ध्वनि से,
कल कल करती नदियाँ
पशु -पक्षी, जीव-जंतु,
मनुष्य वार्तालाप है सब करते
जीव जब आता धरती पर,
तुम ही स्वर प्रदान करती हो माँ
पुस्तकधारणी ज्ञानगंगा हो माँ,
हंस वाहिनी शारदे माँ
जिव्हा पर विराजमान होकर,
अच्छे बुरे का ज्ञान कराती हो माँ
सब युगों की आधार तुम हो माँ,
वेद पुराण सब तुमसे है माता
भर दे मेरी कलम में वह शक्ति,
नित नई रचनाएं लिखूं मैं माँ
मिल जाए तेरी भक्ति से वह शक्ति माँ
तेरी वन्दना बारम्बार करुं है शारदे माँ

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रचनाकार

Author

  • शिवशंकर लोध राजपूत

    दिल्ली Copyright@शिवशंकर लोध राजपूत/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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