मां शारदे हे मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे,
अज्ञानता से भरी है दुनिया तनिक सा संवार दे..!!
सब समझते ज्ञानी स्वयं को दूजे को समझे कौन,
बोलना चाहते हैं बहुत कुछ पर अधरों पर पसरा मौन,
अमीरों की चलती है जग में गरीबों का नहीं कोई ईश,
रूपया पैसा बस पूछ इसी की सच की नहीं है तफ्तीश..!
मां शारदे हे मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे,
अज्ञानता से भरी है दुनिया तनिक सा संवार दे..!!
ज्ञान बांटो बढ़ता है लेकिन अब लगती है मोटी फीस,
रिश्वत खोरी के चलते बताओ मजबूर भरेगा कहां से फीस,
निशुल्क नहीं है अब विद्या पढाई का हो रहा ब्यवसाय,
अमीरों के दाखिले हो रहे गरीब के बच्चे कहां जायें…!
मां शारदे हे मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे,
अज्ञानता से भरी है दुनिया तनिक सा संवार दे..!!
विद्या का मंदिर पाठशाला दान ज्ञान का सर्वोत्तम है,
किसी को लायक बनाना क्या यह पुण्य मिला कम है,
दे दो आर्शीवाद जगत को शिक्षा का सम्मान करें,
मजबूरों से ना लें शुल्क कुछ ऐसा क्यों ना इंतजाम करें..!
मां शारदे हे मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे,
अज्ञानता से भरी है दुनिया तनिक सा संवार दे..!!
तुम तो देवी हो ज्ञान की थोड़ी बुद्धि को सुधार दो,
ज्ञानी बन ज्ञान बांटें कुछ ऐसा विश्व को उपहार दो,
हे मां ! करो दया बंद दरवाजे शिक्षा के खुल जायें,
सबका समान हक हो शिक्षा पर कोई अशिक्षित ना रह जाये..!
मां शारदे हे मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे,
अज्ञानता से भरी है दुनिया तनिक सा संवार दे..!!