क्या कभी आपने उसकी भावना को समझा
जब आपके हाथ बढ़ते हैं
डाली की तरफ कलियां चुनने के लिए
डरती है सिमटती है निवेदन करती है
कली को मुझसे अलग मत करो
अभी कली है अभी-अभी तो खिली है
टूटेगी तो मुरझुरा जाएगी अस्तित्व खो देगी
इसे डाली पर खिलने दो
अच्छत और अम्लान रहने दो
खिलेगी तो मुस्कुराए गी
जीवन खुशहाल बनाएगी
कुछ पल मां के साथ जीने दो
जीवन सूना मत करो
फिर भी आप भावना को न समझ कर के
व्यक्तिगत स्वार्थ में डूबकर
बिना उसकी स्वीकृत के
उस कली को उसकी मां से अलग कर देते है
जो अभी ओस में नहाई
तरोताजा खिली है
जीवन जीने के लिए
सबको सुगंध देने के लिए
सौंदर्य धरा पर बिखेरने के लिए
तुम चाहते हो पुष्प की कलियों द्वारा ईष्ट को खुश करना
किसी की बनाई वस्तु को तोड़कर
दुख देकर किसी को खुश करना संभव नहीं
यदि तुम चाहते हो की अपने इष्ट को पुष्प अर्पित करू
ईष्ट प्रसन्न हो तो भाव से अर्पण कीजिए
भगवान भाव के भूखे हैं
मन में भाव उत्पन्न करें
भाव से ही पूरी रंग बिरंगी
अनगिनत अक्षत अम्लान महकती
फूल की वादियां ही ईस्ट को समर्पित कर दो
जो जहां पर जिस रूप में है
उसको वही पर उसी रूप में ईष्ट को समर्पित करो
एक दो नहीं पूरे जगत में खिले हुए फूलों की वादियो को
भाव से अर्पित करो
ईस्ट खुश होगा खुश होगी धरा
खुश होगे तुम
अंतर्मन की ज्वाला की भाव भरी बेचैनी समझो
दिल की बात समझ कर सबके जीवन में खुशियां भर दो