ये सेंटा क्लॉज साल में, सिर्फ एक बार ही आता है,
एक सेंटा मेरे घर में है,जो हरपल खुशियां लुटाता है ।
मेरी आंख के आंसू सारे,अपनी आंख से बहाता है,
ईश्वर का होता स्वरूप,जो जग में पिता कहलाता है
उसे अपनी खुशियों की परवाह नहीं,
मेरी खुशियों में वो खुश हो जाता है,
वो सेंटा से अधिक प्रिय हमको,
जो संसार में पिता कहलाता है ।।
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