सांसों का दरिया बहे(दोहें)

सांसों का दरिया बहे , बंजर तन के बीच ।

पुण्यों की रसधार से , चल कर्मों को सींच ।

प्यारी सच्चाई नहीं , प्यारा है सम्मान ।

सर पर रख कर घूमते , अपनी झूठी शान ।

तुम दुनिया के सारथी , तुम हो ललित ललाम ।

कृष्ण तुम्ही परमेश्वर , तुम हो चारों धाम ।

मैं सागर हूं प्यास का , तुम गंगा की धार ।

गंगासागर हम बनें , तब हो बेड़ा पार ।

तुम गुलाब की टोकरी , रजनीगंधा प्राण ।

होठों पे रंगोलियां , नयन रेशमी वाण ।

गंगा यमुना सरस्वती , संगम एक महान ।

होत विसर्जित अस्थियां , प्राण करें इस्नान ।

दुनिया बड़ी ख़राब है , तोल मोल के बोल ।

मन में कड़वाहट भले , बातों में रस घोल ।

हर व्यक्ति में गूंजता , एक अनाहत नाद ।

कर सकते हैं आप भी , श्रृष्टि से संवाद ।

ये मन की यायावरी , ये तन का ठहराव ।

जीवन जैसे हो गया , बुझता हुआ अलाव ।

रात उतरती बाग में , चांद खिले आकाश ।

चंदन चंदन हो गया , मौसम का भुजपाश ।

जीवन में जब भी खिले , यौवन का उत्कर्ष ।

बरसे है मन प्राण में , बिना बात के हर्ष ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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