वक़्त के सैलाब में

इमली के पेड़ों के पीछे छुपे हुए हो तुम ।

या मौसम की बेचैनी में भरे हुए हो तुम ।

नदिया की नीली आँखों में बसे कई चेहरे ।

हर चेहरे की तफसीलों में बुने हुए हो तुम ।

रस्ता ऐसे बजता जैसे बजे कोई पायल ।

अम्बर पे लाली की तरहा रचे हुए हो तुम ।

या ख़ुशबू के पीछे पीछे उड़ें तेरी यादें ।

या फूलों की पेशानी पर झुके हुए हो तुम ।

बागीचों ने अपने तन में तुम्हे छुपाया है ।

या झरनों के मीठेपन में बसे हुए हो तुम ।

घाटी बाँहें फैला कर क्यों मुझे बुलाती है ।

पुल पर क्यों लगता है जैसे खड़े हुए हो तुम ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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