मैंने तेरे लिए है जहां छोड़ दी,
जहां के लिए छोड़ तुम हो रहे।
कैसे कह दूं सही कौन है इस जगह
तुमको पाने की जिद ही थी बेवजह
अब क्या रस्मे निभाए,कसम तोड़ दी
अपने हुए पराए और स्वप्न तोड़ दी
मैने तेरे लिए है जहां छोड़ दी
जहां के लिए छोड़ तुम हो रहे।
मैं इश्क की आग में थी जलती रही
तुम बादल बनकर गरजते रहे,
मौसम सुहाना था दिखता रहा
हम बदली देखकर बस मचलते रहे।
मैने तेरे …..
देखे जाने की संख्या : 307
2 Comments