अंधियारे में खोया हुआ मन बावरा,
नाउम्मीदी से उम्मीद लगाए हुए।
तूफान कोई उठने को आतुर सी है,
जल रहा, लपटे लिपटने को है।
प्रेम है, या शत्रु, पास या दूर,
कुछ तो है, जो जीवन जलाने को है।
तृष्णा है रक्त का, या स्वांग किसी खेल का,
मृत्यु का उत्पात होने को है।
उठते तूफान कई जीवन के,
खुशियों को खामोश करने को है।
जो तुम अडिग हो अपने विश्वास पर,
अपने कर्म पर, अपने धर्म पर।
जीवन के उन्नति के आसमान को छूने को है।।
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