मन बावरा

अंधियारे में खोया हुआ मन बावरा,
नाउम्मीदी से उम्मीद लगाए हुए।
तूफान कोई उठने को आतुर सी है,
जल रहा, लपटे लिपटने को है।
प्रेम है, या शत्रु, पास या दूर,
कुछ तो है, जो जीवन जलाने को है।
तृष्णा है रक्त का, या स्वांग किसी खेल का,
मृत्यु का उत्पात होने को है।
उठते तूफान कई जीवन के,
खुशियों को खामोश करने को है।
जो तुम अडिग हो अपने विश्वास पर,
अपने कर्म पर, अपने धर्म पर।
जीवन के उन्नति के आसमान को छूने को है।।

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रचनाकार

Author

  • पूनम गूँजा

    जगन्नाथ पूरी, ओड़िशा, Copyright@पूनम गूँजा/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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