आज अपने दिलों को मिला लीजिए
फिर ये धड़कन दिलों की मिले ना मिले
क्या पता कौन जाने कहां खो गया
जिंदगी में दोबारा मिले ना मिले
नफरतों से भरे रास्ते हैं बहुत
कब पनप जाए दिल द्वेष की भावना
थोड़ी बारिश पे मौसम बदल जाता है
फिर ये मौसम दोबारा मिले ना मिले
प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा
प्रेम की भावना दिल बसा लीजिए
दिल भरे प्रेम में आज तुम डूब लो
प्रेम का फिर ये सागर मिले ना मिले
क्यों तू धन के अंधेरे में खोया हुआ
साथ में तेरे कुछ भी नहीं जाएगा
जाने किस रूप में फिर मिलेगा जनम
घर वतन ये तुम्हारा मिले ना मिले
आज सोचो विचारों जरा गौर से
नफरतों के शहर में तू क्यों खो गया
प्रेम की फैली चादर को तुम ओढ लो
फिर तो सुख की ये चादर मिले ना मिले
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