झूठ बताया जा सकता है।
शहर जलाया जा सकता है।
पल दो पल का साथ हमारा,
ज़श्न मनाया जा सकता है।
हाथ उठाया जा सकता है।
अश्क तो पानी है पर इनसे,
दिल पिघलाया जा सकता है।
झूठी ख़बरों से बहका कर,
ख़ून बहाया जा सकता है।
इश्क़ मुहब्बत के चक्कर में,
चैन गंवाया जा सकता है।
पल भर में ही सच्चाई को,
दाग़ लगाया जा सकता है।
दौलत की ख़ातिर पल भर में,
मान गँवाया जा सकता है।
आज ‘अकेला’ भी रहने का,
फन सिखलाया जा सकता है।
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