रूठ गयी हैं खुशियां सारी रूठा है संसार
कोई तो करता मुझसे प्यार कोई तो करता मुझसे प्यार
रिश्ते नाते सब सपने थे
कहने को केवल अपने थे
समय-समय पर है अजमाया
सबने केवल है भरमाया
दर-दर ठोकर खाने वाले
अपना गम सह जाने वाले
किया कभी ना हमनें रिश्तों में अपने व्यापार
कोई तो करता मुझसे प्यार कोई तो करता मुझसे प्यार
मुझको कोई समझ न पाया
सबने केवल वक्त बिताया
जब भी जिसको पड़ी जरूरत
याद किया वह मेंरी सूरत
खड़ा मिला हूँ उसको हर-पल
लाख किया है मुझसे ओ छल
मिली विभीषण सी मुझको हर,घड़ी यहाँ दुत्कार
कोई तो करता मुझसे प्यार कोई तो करता मुझसे प्यार
रातों को जब नींद न आती
भूली बिसरी याद सताती
बचपन के क्या दिन थे अपने
अपने थे सारे ही सपने
बड़े हुए तो दूर हुए हैं
सपने सारे चूर हुए हैं
मिलता नहीं हमें जीवन का,अब कोई आधार
कोई तो करता मुझसे प्यार कोई तो करता मुझसे प्यार।।
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