कैसी है माया(दोहें)

कैसी है माया तिरी , कैसा है ये जाल ।

बदन गठरिया पाप की , प्राणों में सुकताल ।

या तो खुद प वार करे , या पापों पे वार ।

मन है सबका दोस्तो , दो धारी तलवार ।

तू आंखों का नूर है , तू मीठा अंगूर ।

खुशबू तेरी याद की , जलता हुआ कपूर ।

तुम होठों की प्यास हो , तुम दिल की तस्कीन ।

तुम मुस्काती रोशनी , तुम अहसास महीन ।

उम्मीदें गुज़रीं सभी , उतरा मिरा जुनून ।

ख़ुद के भीतर जब गया , गहरा हुआ सुकून ।

दुनिया इक बाज़ार है , हर इंसान दुकान ।

या तो बेचे कर्म को , या बेचे मुस्कान ।

भोर हुई मनभावनी , संध्या हुई ललाम ।

तुम आए तो बाग में , महके मीठे आम ।

आओ बैठो साथ में , करो ज़रा जलपान ।

थोड़ा तो रख लीजिए , इस प्रेमी का मान ।

जान जावगे एक दिन , कितना तिल में तेल ।

इतनी चिन्ता काय की , जीवन है इक खेल ।

ना काहू की हार है , ना काहू की जीत ।

मधुर स्वरों में गाइए , जीवन एक सुगीत ।

धीरे धीरे जाइए , आप पिया के देस ।

जीवन एक यात्रा है , नहीं है कोइ रेस ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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