कभी जब मन करे तेरा मेरे दर पर चले आना
बिछाए पलके बैठे है उसी में तुम समा जाना
करूंगा दिल की ही बातें सुकू जिसमें भरी होगी
मिलेगी हर तरफ खुशियां नहीं कोई कमी होगी
किया है जितना अनुभव मै उसे तुझको बताऊंगा
भरा है भाव दिल में जो उसे तुझको दिखाऊंगा
चलकर कर्म पथ अपने नया इतिहास गढ लूंगा
जगा कर चेतना मंन की भाव दिल में उगाऊगा
प्रकट संकल्प हो जाए बीज ऐसा उगाऊंगा
हृदय संकेत से अपने तुझे सबकुछ बताऊगा
अंधेरा बैठा है गुपचुप उजाले की खबर पाकर
तमिश्रा दिल की छट जाए तेरे संबल को ही पाकर
सरल जिससे हो ये जीवन राह ऐसी दिखाऊंगा
प्रेम को दिल में ही भर कर तुझे अपना बनाऊंगा
तुम्ही तो दिल की हो रौनक तुम ही हमराज हो मेरे
तुम्हीं से राग है मेरा तुम्ही तो साज हो मेरे
आंख तो आंख होती है कभी इसको न दिल समझो
भरी जो खलबली दिल में उसे ही तुम सदा समझो
सवारो जिंदगी मेरी कभी तो पास आकर के
गुजारो जिंदगी अपनी सदा ही जिंदगी बनके