पलट के ना देखूँगी जो मुझे मिला नहीं,
इस होली कोई शिकवा कोई गिला नहीं।
छांछ और भांग का छायेगा
जो खुमार,
हंसी से लोट पोट हो जायेगा,
होगा जो बीमाऱ।
किसी के चेहरे पर असर करेगा
तो किसी के दिल में भरेगा,
थामकर पिचकारी अल्हड़ जहाँ
मस्ती के रंग में रहेगा।
मुँह बनाये लोगो का कर देंगे खाना मुहाल,
दोस्त हो या दुश्मन सब लगाएंगे एक दूजे को गुलाल।
बस रखना होगा ध्यान ज्यादा
जल ना व्यर्थ बहे,
अबीर और गुलाल में शमा सारा अर्थ रहे।
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