उनको हम भी प्यार करेंगे क़िस्तों में ।
मर मर कर हम ख़ूब जियेंगे क़िस्तों में ।
बोझिल पंखों में अब भी काफ़ी दम है ।
ऐ अम्बर हम आज उड़ेंगे क़िस्तों में ।
बच्चो तुम आँगन में फुलवारी रखना ।
हम फूलों के संग खिलेंगे क़िस्तों में ।
दुनियादारी का कर्ज़ा कुछ ऐसा है ।
जन्मों जन्मों रोज़ चुकेंगे क़िस्तों में ।
हमसे ही गर रोशन है दुनिया तेरी ।
हम भी पल पल ख़ूब जलेंगे क़िस्तों में ।
पल भर में सारी रौनक़ ले जायेंगे ।
महफ़िल से हम अगर उठेंगे क़िस्तों में ।
मिट जाने दो आज हमें क़िस्तों क़िस्तों ।
फिर ख़ुद को तामीर करेंगे क़िस्तों में ।
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