आ रहा है फिर से चुनाव
वो फिर से बरगलाने आयेंगे
त्यार रहो नागरिकों
वो भीख मांगने आयेंगे
आ रहा है फिर से चुनाव
वो फिर से बरगलाने आयेंगे ।
वही शासक वर्ग जिसने
विश्वगुरु के ख्वाब सजाए,
जीतकर फिर भी जिसने गरीबों के
चावल ,आटे पर टैक्स लगाए।
अब फिर से वो आयेगा
विचारधाराओं में तुम्हे बांधने ,
अच्छे दिन के ख्वाब तेरे
अंतर में फिर से जगाने।
पूछना उनसे की
क्या यही राजधर्म है ?
जीतकर जनता को ठगने का
क्या यही राजनैतिक कर्म है?
लोकतंत्र के ठेकेदार
अब फिर से तुम्हे मनाएंगे ,
आ रहा है फिर से चुनाव
वो फिर से बरगलाने आयेंगे ।
पूछना विपक्ष के नेताओ से
क्या यही विपक्षी धर्म है ?
खून की राजनीति तुम्हारी,
क्या यही राजनैतिक मर्म है ?
जनता के समस्याओं को
तुमने नही वहन किया ,
सरकारें तानाशाह थी पर
तुमने कोई न जतन किया ।
तुमने साथ दिया अपराधियों का
तुमने साथ दिया दागियों का
तुमने जनता को एक न सुनी
तुमने साथ दिया अपने आकाओं का ।
पूछना उनसे सबकुछ
वो फिर से दुखड़ा सुनाएंगे,
आ रहा है फिर से चुनाव
वो फिर से बरगलाने आयेंगे ।
नेताओ के जाल से
लोकतंत्र बदनाम हुआ ,
राजनैतिक आश्रय में
धनी और धनवान हुआ ।
जनता आज भी गरीब ही है
देश बेरोजगारी से जूझ रहा है ,
नेताओ को गरीबों का कद्र नही
देश तीसरी अर्थव्यवस्था का सपने संजो रहा हैं ।
पर क्या लाभ उन पैसों का
जो हमारे काम का नही
धन है सिर्फ है अमीरों के लिए
वो धन गरीबों के नाम नही ।
गरीबी सिर्फ ढाल ही है
जिनसे वो साधन जुटाएंगे ,
आ रहा है फिर से चुनाव
वो फिर से बरगलाने आयेंगे।