सूनापन एकांतवास एक बातें जैसी दिखती हैं
सूनापन एकांतवास में बहुत भिन्नता होती है
एकांतवास तो जीवन का वरदान हमेशा होता है
सूनापन तो जीवन का अभिशाप हमेशा होता है
एकांतवास से जीवन को आराम बहुत ही मिलता है
सूनापन तो जीवन में छटपटाहट ही देता है
घबराहट तो सूनेपन से सदा सभी को होती है
शांति सदा इस जीवन में एकांतवास से मिलती है
बाहर ही रहती नजर हमेशा सूनापन कहलाता है
अंतर्मुखी हुई जब नजरें तो एकांतवास कहलाता हैं
मनुष्य अकेले सूनापन से जब एकांत की यात्रा करता है
उसकी यही यात्रा ही एकांतवास कहलाता है
मंजिल राही और रास्ता जब वही स्वयं बन जाता है
तब सूने पन से एकांतवास में वही मनुष्य आ जाता है
फिर बाहर दिखता नहीं उसे कुछ सब अंदर ही दिख जाता है
वाह्य दृष्टि जब बदल गई तो अंतर्मुखी हो जाता है
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