वक़्त की टहनी पे अब भी खिल रहा हूँ मैं

वक़्त की टहनी पे अब भी खिल रहा हूँ मैं ।

राह तेरे लौटने की देखता हूँ मैं ।

बिन तेरे कैसे जिऊँगा सोचता हूँ मैं ।

वक़्त के उस पार भी कुछ देखता हूँ मैं ।

आपकी नज़दीकियों की खुशबुएँ ले कर ।

दूर पत्थर के किले में लौटता हूँ मैं ।

ऐ मेरी तन्हाइयो ग़म ना करो मैं हूँ ।

फिर तुम्हे बाँहों में लेने आ रहा हूँ मैं ।

हाँ मैं सूरज तो नहीं हूँ आपका लेकिन ।

दीप की मानिन्द राहों में रखा हूँ मैं ।

मैं समंदर हूँ किसी दिन बारिशें दूँगा ।

ऐ मेरी धरती कि तुझको चाहता हूँ मैं ।

ले के उट्ठा हूँ दुआओं के रसीले फल ।

जब भी क़दमों में बुज़ुर्गों के झुका हूँ मैं ।

इब्तदा से इन्तहा तक बस मुहब्बत हूँ ।

तुम ख़ुदा तक जा सको वो रास्ता हूँ मैं ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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