रूह में मिलने का इरादा बहुत ज्यादा था
खुद को योग्य समझूं ये नासमझी बहुत ज्यादा था ।
मिले थे जिस कदर जिन यादों ने उन यादों में बौनापन बहुत ज्यादा था।
दूर रहना चाहता था उन गंदगियों से
जिन गंदगियों में आकर्षण बहुत ज्यादा था।
रोक न पाया चाहकर उन आँसुओं को
जिन आँसुओं पर अधिकार बहुत ज्यादा था।
उनकी आशिकी की बहुत फिक्र करते थे
हम जिन्हे हम पर अविश्वास बहुत ज्यादा था।
आज भी भटक रहा हुँ तेरी गलियों में
पागलों जैसे कभी उन गलियों में
मुस्कान बहुत ज्यादा था।
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