चन्दन सा बदन लबों पे ताजा गुलाब है।
कुछ लोग कह रहे के ये माहताब है।
जिस पड़ी उसे फिर होश कभी न हुआ,
ये नज़र है या कोई पुरानी शराब है।
कातिल अदा जमाले रुख ये रेशमी जुल्फें
जो भी है पास आपके वो बेहिसाब है।।
फुर्सत में तराशा है खुदा ने तो सरापा,
सारे जहां का आप पर छाया शबाब है।।
इस हुस्न के दीये को देखकर तूफान की,
मुझको तो लग रहा है के नीयत खराब है।।
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