सच है क्या है गलत यहां पर राह कौन अपनाना है
दिशा कौन सी चले यहां पर साथी किसे बनाना है
क्या देखें क्या ना देखे वह दृश्य हमें ही चुनना है
यह निर्णय हमको करना है
बेबस सुंदरता के आगे स्पंदन क्या करना है
मूल्य पर्स का नोट चित्र को या किताब को पढ़ना है
सुरा सुंदरी केंद्र बिंदु किस परिधि में हमको रहना है
यह निर्णय हमको करना है
आसमान का बिछा बिछौना तारों की है रात सजी
जग करके ही देख रहा हूं जग की ये सुनसान गली
राग अलाप ताप को ही या अवरोध का दंश झेलना है
यह निर्णय हमको करना है
पिता की सेवा दवा दुआ की पंक्ति यहां पर सजना है
दुविधा सुविधा समिधा का भी ध्यान यहां पर रखना है
या साजिश करके हमको केवल दलदल में ही फसना है
यह निर्णय हमको करना है
वीराना जंगल कर देंना या हरियाली फैलाना है
झूठों का साथ सदा देना या सच का साथ निभाना है
संबंधों की रिश्तेदारी या पैसों पर ही मरना है
यह निर्णय हमको करना है
नशा नाश की जड़ होती नशा ओ चाहे जिसका हो
चाहे ऊंचे पायदान पर नशे में पद के डूबा हो
आसमान पर उड़कर भी हमें पैर जमी पर रखना है
या मदिरा का सेवन करके हमे गड्ढे में ही गिरना है
यह निर्णय हमको करना है
रचनाकार
Author
गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |