शाम के जश्न का हाल पूछो ना अब
मुस्कुराती हुई हर सुबह है मेरी
दिन तो रोशन हुआ शाम हर सुरमई
बीतती खुशियों में जिंदगी है मेरी
प्रेम में डूब दिल जबसे उपवन बना
तब से कलियां दिलों में मेरे खिल गई
अब तो हर एक समय गीत होठों पे है
आज महफिल दिलों की तो फिर सज गई
ऐसा लगता कोई जैसे जादू चला
कितनी सुलझी हुई जिंदगी हो गई
आसमा चांद से ना उजाला हुआ
दिल जमी चांद रोशन सी होती गयी
दिल ने चाहा कभी जब किसी चांद को
रोशनी चांद दिल मे उतरती गयी
जिंदगी सिलसिला यूं ही चलता रहा
उम्र तो अपने रंग में ही ढलती गयी
भाग्य जीवन का मेरे निखरता रहा
प्रेम दिल डूब पावन सी करती गयी
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