जिंदगी आज कितनी सजी होगी
बाद मुद्दत के जब मिली होगी
दिल में उठा होगा तूफान नया
खुद संभाले नहीं सभली होगी
प्यार जैसे ही उसका मिला होगा
कली पुष्प सी खिली होगी
बनके छाया बहारों सा मौसम
खुशबू सांस में बसी होगी
सदा ही पास रहे दूर मुझसे हो न कभी
दिल में इच्छा जगी होगी
सूने सपने थे जो बेकल करते
प्रेम की महफिल सजाई होगी
अब तो ना पैर जमी पर पडते होगे
आज बिन बात मुस्कुराई होगी
कितने दिन बाद मन मकरंद भरा
पाके बसंती हवा आज इतराई होगी
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