नये साल में मस्ती

नये साल में मस्ती करते

आया लल्ला

हू-हल्ला – हू हल्ला।।

नये – नये सब कपड़े पहने

नारी लादे ऊपर गहने

और किशोरियों के क्या कहने

बाढ़ लगी खुशियों की बढ़ने

बंट रहा है फ्री में गल्ला

हू-हल्ला, हू – हल्ला।।

वीयर – वार खूब सजे है

नाचे गायें बड़े मजे हैं

पिस्ता – किस्ता खूब गजें हैं

धक-धक-धक-धक बैंड बजे हैं

कोई उड़ाये सिगरेट का छल्ला

हू-हल्ला, हू – हल्ला।।

रंग-बिरंगे उड़े गुब्बारे

चाक-चौबंद गलियां फब्बारे

वाइन-फाइन चुस्की अब्बा रे

फुच्चे खोजे पान का डब्बा रे

कोई तोड़ता मटन का नल्ला

हू-हल्ला, हू-हल्ला ।।

सुंदरियों का लगा है मेला

पूरी नंगी नहीं झमेला

नहीं कमर में एक्को अधेला

आँख मिचौनी का चला है खेला

छुटा हाथ से कैसे बल्ला

हू-हल्ला, हू-हल्ला।।

नये साल को चले मनाने

अपने वाली से करके बहाने

साथ परी थी, पर लगी ठेकाने

तेवर अपना लगी दिखाने

लुम्बिनी में झाड़ी हमसे पल्ला

हू-हल्ला, हू-हल्ला।।

सारा पैसा व्यर्थ हो गया

प्यार भी बिन शर्त खो गया

पूरी रात बिन अर्थ सो गया

नया साल तो विपत बो गया

घर को आया घूम के निठल्ला

हू-हल्ला, हू-हल्ला।।

कहाँ घूमने गये थे बाबू

लुम्बिनी कहूँ या माउंट आबू

दिल पे जोर नहीं है काबू

रोकूं रोवाई मुंह को दाबू

बातें चुभती उसकी खुल्ला

हू – हल्ला, हू – हल्ला।।

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रचनाकार

Author

  • विनोद कुमार 'कवि रंग'

    नाम - विनोद कुमार उपनाम - कविरंग पिता - श्री वशिष्ठ माता - श्रीमती सावित्री जन्म तिथि - 15 /03 /1973 ग्राम - पर्रोई पो0-पेड़ारी बुजुर्ग जनपद - सिद्धार्थनगर (उ0 प्र0) लेखन - कविता, निबंध, कहानी प्रकाशित - समाचार पत्रों मे (यू0 एस0 ए0के हम हिंदुस्तानी, विजय दर्पण टाइम्स मेरठ, घूँघट की बगावत, गोरखपुर, हरियाणा टाइम्स हरियाणा तमाम पेपरों मे) Copyright@विनोद कुमार 'कवि रंग' / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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