देखो फिर से होली आई

होली रंग भरी जो आई सबके दिल में प्यार जगाई
शिकवा गिला को दूर भगा कर सबको गले मिलाने आई
देखो फिर से होली आई
प्रेम रंग में डूबा के हरदम रंगीन सभी को करने आई
भाव दिलों में जगा के सबके भाव दिलों में भरने आई
बनकर फूल सभी के दिल में खुशबू रिश्तो की महकाई
रंग भरे इस प्यार में सबके दिल में खुशियां भरने आई
देखो फिर से होली आई
छोटे-छोटे बच्चों की भी देखो अब तो टोली आई
रंग दिखाकरके मनमोहक सबके दिल को है हर्षाई
अपने अद्भुत रंग रूप को सबको आज दिखाने आई
उड़ा के रंग गुलाल धरा पर रंगीन आसमां करने आई
देखो फिर से होली आई
डूबे रहे प्रेम में ही सब भाव दिलों में भरने आई
सबके दिल में प्यार जगा कर दिल से सब से मिलने आई
देखो फिर से होली आई

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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