जो राह तेरे ही दर पे जाए उसी पे हरदम कदम रखूंगा
सदा ही जीवन बना के निर्मल पुष्प कमल सा खिला करूगा
कभी चुभूगा न शूल बनकर सदा राह का फूल बनूंगा
बैठ के दिल में सदा तुम्हारे दिलों की धड़कन सुना करूंगा
भाव उजागर हो जाए मन का सदा ही ऐसा गीत लिखूंगा
वफा मोहब्बत के गीत गाकर खुशी दिलों में सदा भरूगा
भले दुखों में ही बीते जीवन पराए धन को कभी न लूंगा
कभी गमों का दौर जो आया मान बंदगी ईश सहूंगा
कदम तो रखो कभी दिलो में तुम्हारा बनकर सदा रहूंगा
कभी न निकलूंगा दिल से तेरे दिलों में जीवित सदा रहूंगा
दिलों की रंगत बढ़ेगी मेरी फूल के जैसा खिला करूंगा
जमी नहीं पर तुम्हारे दिल में मकान बना कर रहा करूंगा
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